Last modified on 25 अप्रैल 2018, at 19:28

हवा के साथ यारी हो गई है / विकास शर्मा 'राज़'

हवा के साथ यारी हो गई है
दिये की उम्र लंबी हो गई है

फ़क़त ज़ंजीर बदली जा रही थी
मैं समझा था रिहाई हो गई है

हमारे दरमियाँ जो उठ रही थी
वो इक दीवार पूरी हो गई है

बची है जो धनक उसका करूँ क्या
तिरी तस्वीर पूरी हो गई है

लगाकर क़हक़हा भी कुछ न पाया
उदासी और गहरी हो गई है

क़रीब आ तो गया है चाँद मेरे
मगर हर चीज़ धुँधली हो गई है