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हवा के साथ साथ, घटा के संग संग / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
हवा के साथ साथ
घटा के संग संग
ओ साथी चल
मुझे लेके साथ चल तू
यूँ ही दिन-रात चल तू
सम्भल मेरे साथ चल तू
ले हाथों में हाथ चल तू
ओ साथी चल
एक तो ये मौसम है बड़ा सुहाना
अपना तो ये दिल भी है दीवाना
पर्बत से आके न टकरा जाना
तू बनके बादल
ओ साथी चल ...
हँसती है ये दुनिया तो हँसने दे
अरे नागन बनकर इस रुत को दँसने दे
मुझको अपनी आँखों में बसने दे
ओ बनके काजल
ओ साथी चल ...
अपनि रेशमी ज़ुल्फें लहराने दे
मुझको अपनी बांहों में आने दे
थक गई आज बहुत मैं अब जाने दे ना
मिलेंगे फिर कल
ओ साथी चल ...