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हवा को क्या / नंदकिशोर आचार्य
Kavita Kosh से
हवा को क्या
छेड़ती चली जाती
राह वह अपनी
देर तक
रहता सिहरता पेड़—
कभी झूमता
कभी झरता हुआ ।
—
1 जून, 2009