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हवा को रोकना होता रहा बेकार पहले भी / ज्ञान प्रकाश विवेक
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हवा को रोकना होता रहा बेकार पहले भी
लगाए हुक़्मरानों ने कँटीले तार पहले भी
ज़मीं तपती हुई थी और अपने पाँव नंगे थे
हुई है जेठ की दोपहर से तकरार पहले भी
उदासी से कहो वो बेझिझक घर में चली आए
कि मैं तो पढ़ रहा हूँ दर्द का अख़बार पहले भी
यही अफ़सोस कि मंदिर भी अब दूकान लगते हैं
घरों को तोड़ कर यूँ तो बने बाज़ार पहले भी
कोई चेहरा लगा कर हादिसे का आ खड़ी होगी
हमें धमका चुकी है मौत कितनी बार पहले भी.