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हवा जब उपवनों के पास जाती है / रंजना वर्मा

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हवा जब उपवनों के पास जाती है।
सुगंधित ओढ़ चूनर गुनगुनाती है॥

तुम्हारा प्यार है अब भी सता जाता
नयन पट छवि तुम्हारी मुस्कुराती है॥

नजर लेकर विगत से प्यार के कुछ पल
तुम्हारी याद के सपने सजाती है॥

दुखों की राह तो देखी बहुत लेकिन
घड़ी कब यह प्रतीक्षा कि लुभाती है॥

चले आये शहर हम पेट की खातिर
करें क्या गाँव की पर याद आती है॥