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हवा बहै छै सर-सर / राधेश्याम चौधरी

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पछिया हवा चलै छै सर-सर-सर
खेत खलियान बाग-बगिच्चा हर-हर-हर।
वोॅन-बहियारी सेॅ गॉव तांय चलै छै,
घरोॅ मेॅ दादी खाना बनाय छै।
पछिया हवा जबेॅ भै गेलै दिवाना,
दादी के चुल्हा सेॅ निकलै चिनगारी छै।
आगिन के लुत्ती होय गेलै पछिया के दिवाना
गॉव जरी केॅ होय गेलै छौंरा रोॅ ढेर
जिंनगी के सब कमैलोॅ आगिन के मुँह ढेर।
निकलै छै सब रोॅ मुँहोॅ सेॅ हाय
पछिया हवा बड्डी जोरोॅ पर छै आय।