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हवा में है वो अभी आसमान बाक़ी है / डी .एम. मिश्र
Kavita Kosh से
हवा में है वो अभी आसमान बाक़ी है
अभी परिन्दों की ऊँची उड़ान बाक़ी है
अभी तो उम्र के पन्ने पलट रहा है वो
अभी तो ज़िंदगी की दास्तान बाक़ी है
नज़र में आपकी कंगाल हम भले ठहरे
हमारे पास अभी स्वाभिमान बाक़ी है
बना लिया है चार -छै मकान शहरों में
अमीर हो गया सारा जहान बाक़ी है
बड़ी अदा के साथ हुस्न ने ललकारा हे
अभी तो तीर है देखा, कमान बाक़ी है
करो हज़ार वार हमको डर नहीं लगता
लड़ेंगे ज़ुल्म से जब तक ये जान बाक़ी है
मेरे मोहसिन अकेले दम पे कुछ नहीं होगा
सुबह हुई है ,पर उसकी अज़ान बाक़ी है