Last modified on 14 दिसम्बर 2022, at 20:32

हवा में है वो अभी आसमान बाक़ी है / डी .एम. मिश्र

हवा में है वो अभी आसमान बाक़ी है
अभी परिन्दों की ऊँची उड़ान बाक़ी है
  
अभी तो उम्र के पन्ने पलट रहा है वो
अभी तो ज़िंदगी की दास्तान बाक़ी है

नज़र में आपकी कंगाल हम भले ठहरे
हमारे पास अभी स्वाभिमान बाक़ी है
 
बना लिया है चार -छै मकान शहरों में
अमीर हो गया सारा जहान बाक़ी है

बड़ी अदा के साथ हुस्न ने ललकारा हे
अभी तो तीर है देखा, कमान बाक़ी है

करो हज़ार वार हमको डर नहीं लगता
लड़ेंगे ज़ुल्म से जब तक ये जान बाक़ी है

मेरे मोहसिन अकेले दम पे कुछ नहीं होगा
सुबह हुई है ,पर उसकी अज़ान बाक़ी है