हवा सिंह के लिखी हाथ की / रणवीर सिंह दहिया
हवा सिंह के लिखी हाथ की चिट्ठी तेरी आई रै।।
तम्बू के म्हां पढ़ी खोल कै खुशी गात मैं छाई रै।।
दुनिया गावै राजे रानी या तो मेरी मजबूरी सै
किसान और फौजी पै गाणा बहोतै घणा जरूरी सै
दुनिया कहती आई सै नहीं होती ठीक गरूरी सै
काम करने आल्यां की क्यों खाली पड़ी तिजूरी सै
भारत देश आजाद करावां मिलकै कसम उठाई रै।।
कां डंका खेलण खातर पेड़ गाम का भावै सै
याद आवै सै खेल कबड्डी बख्त शाम का खावै सै
शिखर दोफारी ईंख नुलाणा जलन घाम का सतावै से
लिखते लिखते ख्याल मनै तेरे नाम का आवै सै
फौज में रहना आसान नहीं साथी नै बात बताई रै।।
अंग्रेजां नै मार भगावां यो देश आजाद कराणा सै
सुभाष चन्द्र बोस बताग्या ना पाछै कदम हटाणा सै
तोड़ जंजीर गुलामी की यो भारत नया बणाणा सै
जिन्दा रहे तो फेर मिलांगे नहीं तनै घबराणा सै
भोलेपन के कारण हमनै चोट जगत मैं खाई रै।।
मित्र प्यारे सगे सम्बन्ध्ी मेरा सब तम प्रणाम लियो
कहियो फौजी याद करै सै थोड़ा दिल थाम लियो
आजादी नै कुर्बानी चाहिये सुन मेरा पैगाम लियो
भगतसिंह क्यों फांसी तोड्या बात समझ तमाम लियो
मेहरसिंह ने जवाब दियो रणबीर करै कविताई रै।।