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हवा सुबह की / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
खूब मजे से इठलाती है
नए-नए स्वर में गाती है,
सब पर जादू कर जाती है-
हवा सुबह की!
सूरज बरसाता जो सोना
रँगकर उसने कोना-कोना,
हँस-हँस जग पर लहराती है-
हवा सुबह की!
चीं-चीं चूँ-चूँ का गंुजान
चिड़ियों के ले मीठे गान,
हलचल मन में भर जाती है-
हवा सुबह की!