भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हवा से छॊड़ अदावत कि दोस्ती का सोच / ज्ञान प्रकाश विवेक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हवा से छोड़ अदावत कि दोस्ती का सोच
ऐ चारागर तू चराग़ों की रोशनी का सोच

जो काफ़िले में है शामिल न ज़िक्र कर उनका
जो हो गया है अकेला उस आदमी का सोच

हमें तो मौत भी लगती है हमसफ़र अपनी
हमारी फ़िक्र न कर अपनी ज़िन्दगी का सोच

निज़ाम छोड़ के जिसने फ़क़ीरी धारण की
अमीरे-शहर! उस गौतम की सादगी का सोच

समन्दरों के लिए व्यर्थ है तेरी चिन्ता
जो सोचना है तो सूखी हुई नदी का सोच.