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हसरतों का चला रतजगा रात भर / शोभना 'श्याम'

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हसरतों का चला रतजगा रात भर
धड़कनों का सफ़र साथ था रात भर

भागता अजनबी-सा रहा दूर दिन
ख्वाब भरते रहे फांसला रात भर

ताकि तेरे लिए इक सुबह मांग लूं
तीरगी से लड़ा हौंसला रात भर

भाषणों में बटीं रोटियाँ तो बड़ी
पेट तो पट्टियों से बंधा रात भर

ख्वाहिशों के दिए भोर तक ना बुझे
आंधियों ने जतन तो किया रात भर

गम न सोया कभी न ही सोने दिया
शोर दिल में मचाता रहा रात भर

बात ही बात में बात यूं बढ़ गयी
आशियाँ ख़ाक होता रहा रात भर

दिल यूं राधा बना नाचता ही रहा
श्याम' वंशी बजता रहा रात भर