भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हस्तिनापुर निर्णय नहीं करता / उपेन्द्र कुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अनिर्णय में जीवित है
हस्तिनापुर
लोग मुँह लटकाए
पक्षधर और तटस्थ
प्रतीक्षा में हो गए
जड़

कुछ पहले ही
कूदे थे दोनों पक्ष
दोनों पक्ष चाहते थे
निर्णय हो

लम्बी बहस के बाद
निर्णय न हो सका
हाथ मलता कर्ण
और प्रतिपक्षी सभी
थे उद्विग्न

कम से कम
निर्णय के साथ
लौटने पर तृप्ति तो है।
अतृप्त लोग जड़ हो गए।
स्तम्भित
अपवाद हो सकते थे
लौटने वाले

हस्तिनापुर से
कोई नहीं लौटता शायद कभी निर्णय हो
शायद कभी नहीं