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हस्ती का ऐतवार ग़म ने मिटा दिया / तारा सिंह

हस्ती1 का एतवार गम ने मिटा दिया
रफ़्ता–रफ़्ता कर जिंदगी को घटा दिया

लगता खुदा के घर पाबंदे-रह2 ओ रश्में –वफ़ा
नहीं रही, सैरे–ईदगाह3 में कज़ा4 को बैठा दिया

आदमी जिंदगी की कद्र करे कैसे, रहमत ने
दर्द को, राजे-हयात5 बताकर सीने में छुपा दिया

दोस्ती दिल से कर, जान से दुश्मनी का वादा-
फ़रामोशी6 हमसे कर,मौत के वादे को वफ़ा बता दिया

कई बार चाहा ,इस अन्दोहे7 वफ़ा से छूटना मगर
रश्क8 में उसने मुझे जीते जी खाक9 में मिला दिया

1. अस्तित्व 2. आज्ञा पालन के नियम 3. देवस्थल 4. मौत 5.जिंदगी का राज 6.वादा तोड़ना 7. मुसीबत 8. ईर्ष्या 9. मिट्टी