भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हस्ती को तमाशा कि अजूबा लिक़्खूं / रमेश तन्हा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
हस्ती को तमाशा कि अजूबा लिक़्खूं
या इस को तिरे होने का मुझदा लिक़्खूं
होने कि न होने की हक़ीक़त मालूम
तो क्यों न इसे गोरख-धंधा लिक़्खूं।