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हाँ! मैंने लिखी कविताएँ / संगीता कुजारा टाक

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उसने कहा
तुम्हें तभी लिखनी चाहिए कविताएँ
अगर तुम कर सको
इन सादे कागजों का एहतराम!

अगर तुम दिला सको
समांतर दौड़ती हुई
इन सीधी रेखाओं को मंजिल

अगर तुम दिखा सको
चकोर बंद में बंधे
इन वर्गों को अनंत

हाँ!
मैंने लिखी कविताएँ
मैंने लिखी-करूणा!
मैंने लिखा-प्रेम!
मैंने लिखा-सत्य!