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हाँ, मैं उदास हूँ / सुकेश साहनी
Kavita Kosh से
तुम्हारे बेटे के बेटे के लिए–
नन्हें बंटी के लिए
केबिल टी० वी० में
जब एक आदमी दूसरे की गर्दन दबाता है
दूसरा आदमी हाथ-पैर फेंकता है
मछली–सा छटपटाता है
तब नन्हा बंटी तालियाँ पीटता है
खिलखिलाता है
हाँ, मैं चिन्तित हूँ
नई पौध की राख होती संवेदनाओं के लिए
अभी शेष हैं
राख के ढेर में कुछ चिंगारियाँ
इन्हें जिलाना होगा
नन्हे बंटी को बचाना होगा
मरे हुए लोगों से है उम्मीद बेमानी
इसलिए ज़िन्दा लोगों को
सामने आना होगा
नन्हें बंटी को बचाना होगा