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हाँ, यह सच है / कुमार रवींद्र

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हाँ, यह सच है
बच्चे जादूगर होते हैं
 
बच्चे हँसते
और बिखरते
चारों ओर हवा में अचरज
सँग उनके
फिरती है तितली
देख उन्हें बौराता सूरज
 
बचपन के खुद
रंग-बिरंगे पर होते हैं
 
अगरु-गंध सी
उनकी साँसें
और आरती-सा उनका मन
उनके होने से
हो जाता
घर का कोना-कोना पावन
 
बच्चों के दिल
सच में, पूजाघर होते हैं
 
खेल-खेल में रचते बच्चे
नेह-पर्व
खुशबू के मौसम
उनके संग
खेलते हम भी
पर जल्दी ही होते बेदम
 
उम्र ढले पर
हम ऋतु के खण्डहर होते हैं