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हाँ यही इस बार होगा / कैलाश झा 'किंकर'

हाँ यही इस बार होगा।
दुश्मनों से प्यार होगा।

देश की खातिर समूचा
देश अब तैयार होगा।

भेद सारे अब मिटेंगे
निष्कलुष संसार होगा।

धर्म सारे गौण होंगे
मानवी व्यवहार होगा।

हर किसी के पास अपना
स्वर्ग-सा घर-द्वार होगा।

आप भी तैयार रहिए
स्वप्न हर साकार होगा।