भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाँ रे, नदिया किनारे हो संवरो हो / भोजपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हाँ रे, नदिया किनारे हो संवरो हो, हाँ रे, फूलनी फूलइले।
हाय-हाय फूलनी फूलइले, हाय-हाय फूलनी फूलइले।।
मचिया ए हो बइठल ऐ हो सँवरो, अब झारे झीन हो केसी।
हाय-हाय, झारेली केसी, हाय-हाय, झारेली केसी।।
हाँ रे, मोरा संगे जइबे जटिनिया बड़ा सुख पइबे, बड़ा हो सुख पइबे।
हाँ रे, हथिया हे चढ़ल जटिनिया, हाय-हाय, बिरहन गइबो।
हाँ रे, तोरा संगे जइबों महुतिया, बड़ा कष्ट पइबों।
हाँ रे, घामवा-बेअरिया देह मोरा झांमर।
हाँ रे, तोरा संगे जइबों महुतिया बड़ा कष्ट पइबों।।