हाँ रे, रितु बसंत नियरे फागुन / भोजपुरी
हाँ रे, रितु बसंत नियरे फागुन, दूर देसे गइले भँवरा, का संग खेलब होरी।।0।।
हाँ, हाँ, सीरी पंचमी के बाजत ताले, हाँ रे बजन,
ए हो बजन चलिए गेले रामजी के द्वारे
हाँ रे, होत पराते कि होई गेली भोरे, कि गलहू के एहो,
कि गलहू हार लेइए गइले चोरे, कि का संग खेलब होरी।।१।।
हाँ रे, रितु बसंत नियरे फागुन, दूर देसे गइले पियवा, का संगे खेलब होरी।।0।।
हाँ-हाँ माघ मासे पड़ेले नित गे ठारे,
कि पशु-प्राणी, ए हो पशु-प्राणी काँपेले गे सरीरे,
हाँ रे, बूढ़-ठेढ़ उग आगि जे तापे
हाँ रे, तरुनी, ए हो तरुनी सूते जे अंक मिलाई, कि का संगे खेलब गे होरी।।२।।
हाँ रे, रितु बसंत नियरे फागुन, कि दूर देसे गेल भँवरा, का संगे खेलब होरी।।0।।
हाँ रे, उड़ि-उड़ि भँवंरा कि गइले विदेसे कि हमरे नु,
एहो हमरे बलमु जी से कहिअ समुझाई
चीर चोलीय फाटि गइले कि बेदना उघारी
विरहा, एहो कि बिहरा सतावेले बारो में बारे, कि का संगे खेलब होरी।।३।।
हाँ रे रितु बसंत नियरे फागुन, कि दूर देसे गइले भँवरा, का संगे खेलब होरी।।0।।
हाँ रे, आम मोजरि गेलइ, बन फूलले भिनसारे
चम्पा, एहो चम्पा फूलइले गे हो अब अधीराते
हाँ रे, दाखहिं दरिवर फूलेले भिनुसारे
एहो कि बेदना मलिन भइले, पिया बिनु, का संगे खेलब गे होरी।।४।।
रितु बसंत नियरे फागुन, कि दूर देसे गइले भँवरा, का संगे खेलब होरी।।0।।