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हाइकु-3 / भावना कुँअर
Kavita Kosh से
25
था मन मेरा
उन्मुक्त पछी जैसा
जाल में घिरा।
26
भीगी चिड़िया
तूफान के जोर से
सहम गयी ।
27
स्नेह का रंग
बरसे कुछ ऐसे
छूटे ना अंग।
28
यादों के मेले
हैं अब साथ तेरे
नहीं अकेले।
29
मदहोश -सी
थी वो शाम सुहानी
गुज़री साथ।
30
महका गया
मेरा तन-मन ये
तेरा मिलन।
31
मन उदास
जब तू नहीं पास
है बनवास।
32
जब भी मिली
हमें तो सफ़र में
धूप ही मिली।
33
न बस सका
मेरा ही आशियाना
सबका बसा।
34
कहना चाहूँ
है छटपटाहट
कह ना पाऊँ।
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