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हाइकु1 / सीमा 'असीम' सक्सेना
Kavita Kosh से
१)हम तुम है
जजवातों से भरे
फिर भी तन्हा!!
२)अबकी बर्सा
जमकर बरसो
सब ठहरा!!
३)तुम्हारा आना
पतझड़ में पत्ते
कोमल हरे!!
४)सूखे गुलाब
रखे जो डायरी में
मन में हरे!!
५)पर्बत नाले
फलांगती चली वो
सागर बसी!!
६)लेती सहारा
लताएँ भी पेड़ का
मजबूती को!!
७)विशाल पेड़
फलों से लदकर
झुक सा आया!!
८)देर तलक
रोती रही वो माँ
विदा बेटी की!!
९)नदी किनारे
हाथों में हाथ डाले
चलते रहे!!
१०)मन कागज
चित्र उकेरे तेरे
रंग भर दो!!
११)बिन बदरा
बरस बरस जाएँ
मेरी अंखिया !!
१२)कट ही गयी
बिन झपके पलक
समूंची रैना!!
१३) ऊँची उड़ान
न की है परवाह
हार या जीत!!
१४)उभरी टीस
उन चेहरों पर
योन शोषण!!
१५)खंडहरों में
आहटें सल्नत की
दस्तखत भी!!