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हाइकु / परमजीत कौर 'रीत’ / कविता भट्ट

1
सिंदूरी सूर्य
धरा को रँगकर
खेलता फाग

सिंदुरि सुर्ज
पिर्थी रंगै कैं बल
खेलदु फाग
2
निशा- चूनरी
चन्द्रमा रँगरेज
चाँदनी रँगे

रात च चुन्नी
जून रंगण वाळि
जुनाळि रंगु
3
पूर्णिमा-चाँद
सागर-मन ज्वार
कल्पों का नेह

पूर्णिमैं जून
समोद्र मन ज्वार
कलप्वी माया
-0-