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हाइकु / पूर्णिमा वर्मन
Kavita Kosh से
बाँह उठाए
खजूर की कतारें
हमें पुकारे
गर्म हवाएँ
खुली सड़क पर
बीन बजाएँ।
सफलता
दे गई चुपके से
लक्ष्य का पता