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हाइकु / रचना श्रीवास्तव / कविता भट्ट

Kavita Kosh से
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1
हुआ मोतिया
धूमिल हुई सोच
दिखे न देश

मोत्याबिंद ह्वे
धुमली ह्वे सोच बि
नि दिखे देस
2
रुकी जो साँसें
घायल था पर्वत
आँगन बुझा

रुकि जु साँस
घैल छौ पाड़ बि उ
चौक बुजे गि
3
बूढ़ा पीपल
जाग रहा घर में
सीमा पे लाल

बुड्या पिफळ
बिज्यूँ राई घौर माँ
सीमा माँ लाल
4
सहलाती माँ
गोद में रख वर्दी
गाती है लोरी

मलासदी ब्वे
खुख्ला माँ धारी बर्दी
गाँदि च लोरी
5
हुआ शहीद
एक और सैनिक
सीली सी हवा

ह्वेगी सहीद
रे एक हौर फौजी
सिलीं सी हवा
6
चोंच में चली
दबाकर सवेरा
भोर- चिड़िया

चोंच माँ चली
दबैक सुबेर सी
बिंस्री प्वथली
7
आँसू से लिखी
वो चिट्ठी जब खोली
भीगी हथेली

आँसुन लेखी
वा चिठ्ठी जब खोली
भिजीं हथ्गुळी
8
बेटे का कोट
रोज़ धूप दिखाती
प्रतीक्षा में माँ

नौना कु कोट
सदानी घाम धार्दी
जग्वाळ माँ ब्वे
9
वर्षा पहने
बूँदों- सजा लहँगा
मटक चले

बर्खा पैरदी
बुन्दुन सजीं घाग्री
मटकी चली
10
तपती धरा
बूँदों का मरहम
बरखा वैद्य

तपदी पिर्थी
बुन्दु कु मल्लम
बर्खा बैद च
11
बो दी है भोर
आँगन में किसने !
सपने उगे

ब्वैली बिंसरी
चौक माँ कैन जि यु
स्वीणा जमिन
12
हुआ शहीद
चुभीं चूड़ियाँ पाँव
टूटी जो कल

ह्वे गे सहीद
चुभिन चूड़ी खुट्यों
टुटी जु ब्याळी
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