भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु / सुषमा गुप्ता / रश्मि विभा त्रिपाठी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1
मन व्यथित
‘मुस्कान भी है झूठी’-
आँसू कहते।

हिय छउँछै
मुसकानऔ मृषा
आँसु भाखइँ।
2
ये तारे ऐसे
चाँदनी की चुनरी
टँगी हो जैसे।

ई तारा अस
अँजोरि कै चुनरी
रेइसि जस।
3
जिंदगी सारी
खुशनुमा बहुत
बाँहें फैलाओ ।

जिनगी सबै
परसन्न खुबइ
कउलियाबौ।
4
कम जीवन
साथ और भी कम
जियो जीभर।

जिनगी थ्वार
संघ औरउ थ्वार
अघाक जियौ।
5
हाथ में हाथ
बस रखना थामे
फिर क्या ग़म।

हाँथे मा हाँथु
बसि गहे रहिउ
फिरि का दुखु।
6
कभी तो लौट
देख आकर ज़रा
वहीं हैं खड़े

कबौ त लौटि
द्याखउ आनि तनी
हुँअइ ठाङ।
-0-