भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु 1-20 / सरस्वती माथुर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 1
चिरैया उड़ी
तेज आँधी से लड़ी
बिखरे पंख l
   2
नींद नदी -सी
लहरों-सा सपना
बहता रहा l
  3
दूर है नाव
लहराता-सा पाल
हवा उदास l
  4
भीगे हैं तट
पदचाप बनाती
बिखरी रेत l
 5
नदी -सा मन
बहता लहरों-सा
सागर हुआ l
  6
डूबती साँझ
जीवन -सी उतरी
विदा के रंग
 7
धूप पंखुरी
खिली फागुन बन
बजे मृदंग
 8
मौसम टेसू
मन हुआ फागुन
होली के संग
 9
महकी हवा
रसपगी होली सी
बिखरे रंग
10
होली के रंग
उमंग नवरंग
भंग के संग
 11
भीगते मन
फगुनाया मौसम
होली के रंग
 12
भीगी सी होली
फागुनी बयार में
रसपगी सी
13
पीत पराग
आँगन में गुलाल
 होली तो होली
 14
रंग गुलाल
अक्षत चन्दन में
भीगे से तन
15
भीगा सा तन
अबीर गुलाल से
हरषे मन
  16
फागुनी रंग
चंग मृदंग भंग
आगई होली
   17
भंग के संग
फागुन का मौसम
होली के चंग
   18
परिणीता- सी
सजी धजी चाँदनी
चाँद की प्यास ।
 19
मन का फूल
बादलों के जूड़े में
दिया है टाँक
  20
खिला चाँद
झील के आईने में
पीले गुलाब- सा ।
-0-