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हाइकु 129 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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हाथ‘र पग
माथो‘र मन सै है
फेर गरीब?
धर्म रा पोथा
जुगां-जुगां पढिया
मानखो पढ
आभो बणनो
कितो दौरो हुवै है
पूछ आभै नैं