भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु 13 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
बिक रैया है
तन-मन-धरम
घटी दरां में
अश्वत्थामां थूं
अखी सिड़तो घाव
महाभारत रो
जद आंसूड़ा
अगन दांई झरै
कविता रचै