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हाइकु 142 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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स्वर्णायग्या है
सगळा बाळमीकि
इण जुग रा
प्रहलाद सै
माथा झुकोड़ा, नाचै
हिरणाकस
कठै हथाई ?
बंतळ करै बस
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