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हाइकु 155 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
तुळसी थाण
दियो संजोवती मा
खुद तुळसी
म्हैं बर्बरीक
बस देख ई सकूं
कर नीं सकूं
कुण समझ्यो
गांधारी रो दुखड़ो
सौ पूत खोया