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हाइकु 161 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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दुखां ना डर
काळा बादळां बसै
इन्द्र धनुस


राम रो नईं
रावण रो मिंदर ई
पुजसी अबै


जद जद ई
महाभारत मचै
गांधार्यां रचै