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हाइकु 165 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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रोवै जमुना
लै‘र लै‘र काळिया
किसना आ रे
धरा पै नईं
मंगळ पे लड़सा
सांति दूत हां
घूंसले बा‘रै
जा सोनचिड़ी, पण
पांख्यां संभाळ