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हाइकु 17 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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काळ रै मांय
नईं बरसै आभो
बरसै आंख्यां
बोलै कागला
पण कुण आवै सा
काळै रै गांव
आ नागोरण
गिटक रैयी बादळ
डाकण बण