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हाइकु 189 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आंख आंख सूं
हाथ हाथ नीं लड़़ै
पण आपां तो ....
कुण कै सभ्य?
अजै बणा रैया हां
जैविक बम
घर दुकान,
मन हुयौ ब्यौपार
जीवण बजार