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हाइकु 1 / प्रियंका गुप्ता
Kavita Kosh से
1
थका था चाँद
रात भर का जगा
लो सोने चला।
2
तन्हा थे शब्द
तूने पुकार लिए
तेरे हो गए।
3
प्रेम का घड़ा
खाली है बरसों से
तुम भर दो।
4
तुम्हारा प्यार
रिमझिम बारिश
भीगा है मन।
5
प्रेम फ़साना
सुना ही तो रही थी
तुम सो गए।
6
मन की डोर
तुझ संग थी बाँधी
यूँ ही तोड़ दी।
7
दौड़ता आया
धूल की गठरी ले
हवा का घोड़ा।
8
गर्मी के मारे
तालाब में सो गया
बेचैन चाँद।
9
ढह ही गया
रेत के घर जैसा
रिश्ता हमारा।
10
थकी-माँदी सी
टाँगें पसार कर
सोई थी धूप।