भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु 21 / लक्ष्मीनारायण रंगा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अलखिया रे!
कद लख सूं थारो
असली रूप


सुरता म्हारी
उडीक में ई बीती
ऊमर आखी


किंयां पैछाणा
सै धार लिया रूप
बैरूपिया रां