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हाइकु 31 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
कुण है जी बो
नचातो रै‘वे जिको
कठपूतळ्यां?
आखो भारत
थाळ राजभोग रो
अरोगो सा
कठै लपट
कळजीजियोड़ा है
सगळा खीरा