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हाइकु 41 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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छोड जंगळ
आ बस्या जिनावर
नगरां मांय
चालतो रै थूं
अंधारा-उजाळा तो
आसी‘र ज्यासी
जित्ती बधै है
रोसणी शहर में
बधै है आंधा