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हाइकु 66 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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आज रा बेटा
काटै मा रा हांचळ
सभ्य हुयग्या


मन री माटी
जे ऊगै गुलाब तो
कदै न सूखै


मिनख है कै
घुड़दौड़ रो घोड़ो
भागै ई भागै