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हाइकु 89 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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अे बंसी नईं
बजावै पूरो बैंड
आग लगा‘र
बळता धोरा
सावणी बिरखा रो
समझै मोल
मरूधरा में
तप-तप‘र लोग
बणै तपस्वी