भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाऊ और बिलाऊ / कन्हैयालाल मत्त
Kavita Kosh से
मिस्टर हाऊ और बिलाऊ,
थे बिल्कुल बछिया के ताऊ।
लाए एक कहीं से घोड़ा,
लगे जमाने उस पर कोड़ा।
उसे न डाला दाना-पानी,
मुफ्त सैर करने की ठानी।
भूखा घोड़ा यूँ घबराया,
ऐसा भागा हाथ न आया।