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हाजी लोक मक्के नूँ जान्दे / बुल्ले शाह
Kavita Kosh से
हाजी लोक मक्के नूँ जान्दे,
मेरा राँझण माही मक्का,
नी मैं कमली आँ।
मैं ते मंग राँझे दी होई आँ, मेरा बाबल करदा धक्का<ref>जबरदस्ती</ref>,
नी मैं कमली आँ।
हाजी लोक मक्के नूँ जान्दे, मेरे घर विच्च नौ सौ मक्का,
नी मैं कमली आँ।
विच्चे हाजी विच्चे गाज़ी<ref>मजहब की खातिर लड़ने वाला</ref>, विच्चे चोर उचक्का,
नी मैं कमली आँ।
हाजी लोक मक्के नूँ जान्दे, असाँ जाणा तख़त हज़ारे,
नी मैं कमली आँ।
जित वल्ल यार उते वल्ल काअबा, भावें फोल किताबाँ चारे<ref>चार धार्मिक ग्रन्थ-तौरेत, जं़बूर, अंजील एवं कुरान</ref>,
नी मैं कमली आँ।
शब्दार्थ
<references/>