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हाथीराजा / निरंकार देव सेवक
Kavita Kosh से
हाथी राज, कहाँ चले?
सूंड हिलाते कहाँ चले?
पूँछ हिलाते कहाँ चले?
मेरे घर आ जाओ ना,
हलुआ-पूरी खाओ ना!
आओ, बैठो कुर्सी पर,
कुर्सी बोली चर-चर-चर!