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हाथी / शकुंतला सिरोठिया
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हाथी आता झूम के,
धरती-मिट्टी चूम के!
कान हिलाता पंखे जैसा,
देखो मोटा, ऊँचा कैसा!
सूँड हिलाता आता है,
गन्ना-पत्ती खाता है!
हाथी के दो लम्बे दाँत,
सूँड बनी है इसके हाथ!
इससे ही यह लेता रोटी,
आँखें इसकी छोटी-छोटी