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हाथ गहा / अज्ञेय
Kavita Kosh से
हाँ, तुम्हारा हाथ मैं ने गहा
तुम्हारे हाथ को मेरा हाथ
देर तक लिये रहा :
पर एकाएक मैं ने देखा कि उस मेरे हाथ के साथ
मैं ही तो नहीं रहा...
लखनऊ, 14 नवम्बर, 1980