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हाथ में आया जो दामन दोस्ती का / वर्षा सिंह

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हाथ में आया जो दामन दोस्ती का
हो गया जारी सफ़र फिर रोशनी का

चल पड़े, कल तक जो ठहरे थे क़दम
रास्ता फिर मिल गया है ज़िन्दगी का

साथ गर यूँ ही निभाते जाएँगे
बुझ न पाएगा दिया ये आरती का

चाहतों का चित्र यूँ आकार लेगा
रंग भरना तुम वफ़ा का, सादगी का

हीर-रांझा, कृष्ण-मीरा, मेघ-'वर्षा'
प्यार से रिश्ता पुराना बंदगी का ।