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हाथ में जाम दे दो करूँ मयकशी / गोविन्द राकेश
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हाथ में जाम दे दो करूँ मयकशी
साथ तुम भी रहो जो करूँ मयकशी
रोकता है न कोई बयाबान में
कोई ज़ाहिद मिले तो करूँ मयकशी
दिन खटकता रहा चैन ही ना मिला
शाम अब हो चली सो करूँ मयकशी
बुुझ गई है शमा रौशनी है कहाँ
तुम तो जुगनू ही ला दो करूँ मयकशी
मैं अकेले थिरकता नहीं हूँ कभी
साथ तुम भी थिरक लो करूँ मयकशी