भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाथ / नील कमल
Kavita Kosh से
हाथ सुंदर लगते हैं
जब होते हैं किसी दूसरे के हाथ में
पूरी गरमाहट के साथ
हाथ ख़तरनाक लगते हैं
जब उतरते हैं किसी गर्दन पर
हाथों को पकड़ने की कोशिश में
पाता हूँ
कि उग आया है जंगल हाथों का
गर्दन के आस-पास
और दुनिया हाथों के जंगल में बदल गई है
वह जंगल हमें बुलाता है बार-बार
अब बचने का मतलब है
हाथों के जंगल से बच निकलना
बचना है तो
पैरों से लेने होंगे काम हाथों के
दुश्मन को पहचानने के लिए
चिपका देनी होंगी आँखें उन हाथों में
जो फिलहाल हैं गर्दन पर ।