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हादसा ये भी किसी रोज़ सुनायी देगा / रंजना वर्मा
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हादसा ये भी किसी रोज़ सुनाई देगा।
मेरी मैयत पर कोई आ के बधाई देगा॥
बोझ है दर्द का धड़कन को दबाये बैठा
कैद से कौन उसे आ के रिहाई देगा॥
ले गये अश्क़ उजाला है नज़र का मेरी
कोई आके न मेरी खोयी बीनाई देगा॥
चंद अल्फ़ाज़ मुहब्बत के बोलता न कोई
जिंदगी भर की तुझे कौन कमाई देगा॥
वस्ल का ख्वाब सजाया था मेरी आँखों ने
था न सोचा कि मुझे ऐसी जुदाई देगा॥